जब तक तूफा ने न घेरा ,
वो भी ताजमहल से कम न था,
ये इश्क ही था मेरा,
जिसने खारे पानी को भी,
मीठा घोल समझा ,
वो मंजर भी कुछ और ज़माना भी कुछ और था ।
βαβitα💕
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