कैसे
कुछ कहना है कहू कैसे,
अब और सहु कैसे
जिसे चाहा उसके बिना रहु कैसे
टूटा दिल फूटी किस्मत
ये झोली फैेलाऊँ कैसे
अपनो को समझाऊ कैसे
मन का हाल सुनाऊँ कैसे
कोई तो हो जो मेरी उदासी पढ़ले
कोई तो हो जो मेरी चुप्पी की बोली सुनले
कोई तो हो जो मेरे आंसू चुने ले
कहने को सब अपने है
लेकिन वक़्त इनके सपने है
जो देख न पाये मेरी गुम हंसी को
मेरी कविता की पंक्ती को
जो भी लिखू सत्य है इतना
गेहरा सागर है जितना
डरती हूँ कही खो न दू सबको
पर सत्य को झूठ लाऊ कैसे
अपना राग सुनाऊँ कैसे
ये जहर पी जाऊ कैसे
अपनी बात बताऊ कैसे
ये आग बुझाऊ कैसे
अपना हाल सुनाऊँ कैसे ।
βαβitα 💕
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