रिश्ते
लोग आपके जीवन मे इसलिये नहीं आते क्यूंकी वो आपको पसंद करते है,बल्की वो इसलिये आते है की वो अपना खालीपन भर सके। आपका होना य़ा ना होना उनके लिए मायने नहीं रखता । आप तब तक काम आते है जब तक सामने वाला चाहे .........आप क्या चाहते है,कितना भावुक है,उस एक व्यक्ति को लेकर उससे उसको कुछ नही लेना। बात जहा स्वयं की हो लोग दूसरो को मौका तक नहीं देते की वो बात कर पाये । मन किया तो आये मन किया तो चले गए । लोग क्या कहेंगे,परिवार नही समझेंगा? जैसे प्रश्न आ जाते है । जहा "मैं" की भावना आ जाती है। सब मुझपे विश्वास करते है ? .......पर क्या कभी ये सोचा है, जिस व्यक्ति को आप छोड़ रहे हो उसने भी विश्वास कमाया होगा ? जहा उस व्यक्ती का आत्मसम्मान तक चूर हो गया हो गया होगा । हर सिक्के के दो पेहलू होते है आपने अपने तरफ का हिस्सा देखा और दुसरी तरफ का नही ,.....शायद वो व्यक्ती पूरी तरह टूट गया हो । इतना की वो स्वयं से नजरे ना मिला पा रहा हो। मरना बहुत आसान होता है और जीना उतना ही मुश्किल - उसी तरह किसी को बीच सफर मे छोड़ना आसान होता है । पर किसी भी हालत मे उसका साथ निभाना य़ा उसकी कमी को उसकी खूबी बना देना बड़ा मुश्किल । एक साथी का काम होता है,लोग क्या कहेंगे ये सोचे बिना,परिवार समझेगा की नहीं ये सोचे बिना,रिश्ते को खास बनाना । उसकी खासियत तब और बढ़ जाती है जहा अपने अलवा दूसरे के भावो को भी समझा जाये,जहा फैसले नहीं,बाते बतायी जायी ।.......... तब जीवन की गाड़ी सही चलती है ।................ खुदका सोचो पर दूसरे के बारे मे भी उतना ही भवुक्ता से सोचो, ताकि आपनापन बना रहे।
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