उसके जाने के बाद!!!!!


मैंने अक्सर अपनी हर पसंदीदा चीज़ खोई है । चाहे कपड़े हो, चाहे जगह,चाहे काम या फिर कोई इंसान (इंसान इसलिए चाहे मेरी अच्छी दोस्त हो,या फिर कोई शख्स,या मां) बचपन से बहुत चीजों को खोते आई हूं,या यूं कह लीजिए की चीजों ने मुझे खोया है हा हा हा हा ! नहीं मैंने ही खोया है, क्यों इसका कारण मुझे समझ नहीं आता ।
पर धीरे-धीरे अब समझ आता है,जैसा गुरु जी कहते है हमारा ये शरीर पाप-पुण्य से मिलकर बना है । शायद यही कारण होगा मैंने पूर्व जन्म में किसी को बहुत कष्ट दिया होगा, जिसका प्रारब्ध मैं भोग रही हूं। पर इस चीज से कोई गिला नहीं है मुझे,पर न जाने क्यूं मैं इनसे हट नही पाती।
जो भी मेरे पास आया और मुझे छोड़ के गया, वो अपना जीवन सुख में व्यतीत कर रहा है। पर मैं उन्हीं पुरानी यादों मे सिमटी हुई हूं।

मां के जाने के बाद में ने बहुत प्रयास किया की मैं उसे हमेशा खुशी से याद करूंगी । पर मैं ऐसा कर नही पाई उसकी तस्वीर बिना देखे भी मानो में उसका चित्र अपने हृदय पटल पे रोज गढ़ देती हूं। यहां तक की उसके हर एक रोम को बखूबी उतरती हूं। आज भी आवाज़ वैसे ही सुनाई देती है,जैसे बचपन से आज तक वो मुझे पुकारती आई है।
सब कुछ सिखाया उसने मुझे, पर यादों से कैसे भागते है ये नही सीखा पाई।
आज भी उसके जाने के" 11 महीने 13 दिन" बीत जाने के बाद भी उसे मैं हू ब हू देख पाती हूं ,सुन पाती हूं।पर फिर भी खुदको अकेला असहाय पाती हूं। मन के अंदर एक गुब्बार भरा है जिसे किसी के अलीगन,या अपनी चीख द्वारा बाहर निकलना चाहती हूं। अब इस संसार से किसी चीज की चाह नही रह गई है। न किसी से बैर है , न द्वेष है, अंतर मन यही चाहता है जिसने भी मेरे साथ अच्छा किया,या बुरा किया हो,पर वो अपने जीवन के अंत तक सुखी रहे ।
काफ़ी पढ़ने का भी प्रयास किया ।टीचिंग की परीक्षा की तैयारी भी करने का प्रयास किया पर न जाने क्यों इस मन को एकाग्र नहीं कर पाई। जिस जॉब का सपना देखा था,उसे अपने हाथो से बिखेर दिया मैंने। आपको लगेगा मैं फेल होने से डरती हूं,या उतनी अंक नही ला पाऊंगी । नही हाथ मे आए एक मौके को मैंने स्वयं जाने दिया। क्यूं? पता नही?
पर अंदर से मैं खाली हो गई हूं,एकदम खाली खोखली !!!!
क्योंकि मैं स्वयं एक जीती जागती लाश हूं,जिसे बस लकड़ी के ढेर में जलाना बाकी है । 

Babita 💕 

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