पुरानी यादें
कितना कुछ है कहने को,
पहली मुलाक़ात दिल्ली से बलिया की वो बात,
सफ़ेद शर्ट,ब्ल्यू जींस,ब्राउन चप्पल और गमछा था जो साथ,
मानो पूरा स्टेशन हो खाली,पर भैया थे मेरे साथ,
आंखों ही आंखों से मुलाक़ात हो गई,
दूसरी बार मिलने की बात हो गई,
दूसरी बार मिले हम मंदिर में, मै लाल वो पीले कुर्ते में,
कुछ पल बिताए मंदिर की सीढ़ियों पे
जमके खाएं राजश्री के छोले भी हमने,
इस मुलाकात में मेरा झुमका गिर गया,
एक दिन उनके कुर्ते की जेब में मुझे मिल गया,
फिर एक रात को,
मिले हम पूरे परिवार को
सारी बाते कह सुनाई,
फिर आदर सत्कार हुआ सात को
महाकाल भुजा पे थे जिसके,
कोई क्रोध को काबू कर पाए न उसके,
न जाने कितने थप्पड़ खाए थे उसने मुझसे,
जिसे शांत करना था मेरे बस में,
ला पाती उन सभी यादों को एक टोकरी में,
तो बताती की एक पागल था मेरे इश्क़ में,
जो न दिन देखता था न रात,
मैं पुकारु वो आ जाता था पास,
आज हूं उसका आधा अंग मैं,
वो साहिल मैं प्रिया डे संग में।
Babita💕
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