चाहत
मैं ऐकांत चाहती हूँ
पर उस ऐकांत मे भी तुम्हे चाहती हूँ
मैं समंद्र नहीं बूंद चाहती हूँ
पर जो मीट न सके ऐसी प्यास चाहती हूँ
तू साथ नहीं पास नहीं
पर तेरे होने का एहसास चाहती हूँ
मैं टूट के बिखरी हूँ
तू समेट ले ऐसा आलिंगनं बेहिसाब चाहती हूँ
मरना नहीं
तेरे साथ जीने का ख्वाब चाहती हूँ
कल का पता नहीं मुझे
पर तेरे साथ अपना आज चाहती हूँ
महल नहीं
मडई मे रहना तेरे साथ चाहती हूँ
जमीन नहीं
खुला आसमान चाहती हूँ
तेरे साथ अपना एकांत चाहती हूँ
βαβitα💕
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