मोह की चुस्की 💕
मैंने पेहली दफा चाय बनायी थी ।
अपने लिए नहीं, तेरे लिए चाय खोलायी थी,
उस दिन मैं कितना घबरायी थी,
मानो चाय कभी न बनायी थी ?
ऐसी बेढंगी मुझपे छायी थी ,
उस एक प्याली चाय को बनाने मे,
मानो कितना वक़्त लगायी थी,
जैसे मेरे हाथों से सब छूटता गया ,
नया टी - सेट था, जो टूटता गया,
उफ़ ऐसी बेचैनी थी ,
किसी को चाय पिलाने के लिये,
दिल मे बेचैनी थी,
जैसे -तैसे चाय की प्याली उन तक पहुंची थी,
फिर पहली चुस्की मे,उनकी निगाहे मुझपे ठहरी थी,
हल्की मुस्कुराहट ने चाय की तारीफ कर दी थी,
उनके लिए ये मेरी पहली चाय की प्याली थी,
और कुछ नहीं मेरी "मोह की चुस्की" थी ।
βαβitα💕
It's very beautiful poem
जवाब देंहटाएंThank you dear
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