अपने
एक शख्श की याद मुझे आज भी आती है,
मेरी माँ बीमार,
और उसकी हंसी आज भी दिल को चुभ जाती है,
अपनो के बीच वो लोमड़ी नज़र आती है,
क्या तारीफ करे उनकी ,
जिनकी परछाई से भी हमे घीन आती है,
पर कोई बात नहीं वो दिन कुछ और थे,
हम बेबस और वो घमंड मे चूर थे,
कल उनका था आज हमारा होगा,
वक़्त का पहिया कभी तो घुमेगा,
हमारे अश्को पे हंंसने वाले,
अब तू भी रोयेगा,
पर तू भीड़ मे भी मेरा कंधा पायेगा,
तू रिश्ता निभा न पाया,
पर मुझे निभाते पायेगा।
βαβitα💕
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