अज्ञात


 

    तुम अज्ञात हो!
फिर भी मुझे तुम, ज्ञात हो ।

न मित्र, न हमसफर, न कोई रिश्ता है।
पर मेरे जीवन का अटूट हिस्सा है,
न वाट्सऐप, न फेसबुक, न इंस्टा पर हो।
पर मेरी हर दुविधा में, न जाने कैसे पास हो ।
मुझे तुम ज्ञात हो ।

न तुमने मुझको देखा, न मुलाकात हुई हैं ।
पर हाँ अक्सर, थोड़ी बात हुई हैं।
कहीं फ़ोन की  लिस्ट  में, तुम्हारा नंबर हैं ।
जहाँ मैं डगमगायी,वहा तेरा साथ है
मुझे तू ज्ञात है ।

क्या- क्या बतलाऊं, तुम्हारे बारे में,
अनगिनत बाते है,बताने में,
बस इतना जान लो तुम बहुत खास हो ।
और मेरे पास हो ।
हाँ हाँ मुझे तुम ज्ञात हो ।

βαβitα 💕



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