बलिया

 

शांत चीत धरती वीरो का अभिमान है,
हम उस धरती की बालाये है,
जहाँ भृगु का धाम और,
कल कल करती गंगा की धारा है,
बागी जीवन,पर आदर का भाव है,
हमारे यहाँ मेहमान भी ईश्वर का अवतार है,
भीक्षा कोई न मागे,
अपनी मेहनत पे अभिमान है,
आओ देखो हम उस बलिया के लाल है |

M@y@💕💕💕💕

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